हल्दी, अदरक और पुदीने जैसे सुपरफूड का इस्तेमाल करें; किचन को हंसी का अड्डा बनाइए और बच्चों को भोजन की कद्र सिखाइए

शेफ कुनाल कपूर
पूरे परिवार की ऊर्जा का सोर्स किचन है तो हम उसे बोरिंग क्यों बनाते हैं और पूरा ध्यान ड्राइंग रूम या लिविंग रूम को सजाने में लगाते हैं।हमें अपने किचन को थोड़ा हैपनिंग और लाइवली बनाना चाहिए, जिससे यहां गूंजने वाली ठहाकों की एनर्जी फूड तक पहुंचे।खाना सिर्फ किचन तक सीमित नहीं है बल्कि यह अपने आप में एक पूरी संस्कृति है। यही सही वक्त है यह संस्कृति बच्चों में रोपने का।
अक्सर समय की कमी के कारण हम बच्चों में खाने के प्रति रुझान पैदा नहीं कर पाते। खाने को लेकर बच्चों के नखरे बहुत होते हैं- ये यहखाएंगे, वह नहीं खाएंगे। कुछ नहीं पसंद आया तो छोड़ दिया। क्वॉरेंटाइन के समय हम बहुत अच्छे से अपने पूरे परिवार को और खासकर बच्चोंको किचन में शामिल कर सकते हैं। बच्चों को लाइव एग्जाम्पल से बता सकते हैं कि एक डिश बनाने में भी कितनी मेहनत लगती है। इससेवह खाने की कद्र करना सीखेंगे। हम बच्चों को खाना बनाने में शामिल करेंगे तो वह बेहतर ईटर्स भी बनेंगे और मांओं की जो टेंशन रहती है किउनका बच्चा कुछ खाता ही नहीं है, वह भी दूर होगी।
मसालेदानी एक ‘जादू का डब्बा’ है
इलायची : पीने के पानी में थोड़ी सी इलायची डालकर उसे उबालिए, फिर एक बोतल में इसे डालकर फ्रिज में रख दीजिए। यही पानी बाकी पानीकी बोतलों में थोड़ा-थोड़ा डाल दें। इससे पानी में इलायची का फ्लेवर रहेगा, गर्मी आ रही है तो शरीर को ठंडक भी देगा।
हल्दी : अगर हम घर में कुल्फी जमा रहे हैं तो कुल्फी में भी हम थोड़ी सी हल्दी डालकर बना सकते हैं। इससे बहुत अच्छा स्वाद आएगा। जबकस्टर्ड बनाएं तो थोड़ी हल्दी डालकर उबालें, पकने के बाद इसका बहुत अच्छा स्वाद आएगा।
जीरा : जीरे को भूनकर मिक्सी में पीस लीजिए। फिर उसमें थोड़ा पानी, नींबू का रस, चुटकी भर नमक, थोड़ी सी शक्कर और काली मिर्च मिलादें। इस पेस्ट को खाने के बाद लेते हैं तो आपको डाइजेशन में मदद मिलेगी।
तुलसी-पुदीना-अदरक : हमारे किचन गार्डन में ही मौजूद तुलसी, पुदीना और अदरक से हम चाय बना सकते हैं। इसमें थोड़ा सा शहद डालकरपिएंगे तो यह अपने आप हमारी बॉडी इम्युनिटी को बढ़ा देगा।
किचन से फ्लो होती है एनर्जी
- इस वक्त हम अपने किचन को भी री-अरेंज कर सकते हैं। हम सब जानते हैं कि हमारे शरीर को ऊर्जा खाने से मिलती है और यह खाना किचनमें ही बनता है।
- खाना बनाते वक्त बच्चों, घर के सदस्यों को कुछ ना कुछ जिम्मेदारी दीजिए। अगर वह पूरा खाना न भी बनाएं, तो भी तैयारी में तो मदद करही सकते हैं। पूरा परिवार साथ मिलकर खाना तैयार करेगा तो उसका स्वाद अलग ही होगा।
- किचन का एक थम्ब रूल यानी मूलभूत नियम है- फर्स्ट इन, फर्स्ट आउट। यानी जो भी खाने की सामग्री, मसाले हम पहले लाए हैं, उन्हें हमें पहले इस्तेमाल करके खत्म करना है। जो बाद में आया है उसे बाद में इस्तेमाल करें।
- किचन को बातों का और हंसी का अड्डा बनाइए, उसे अपने लिविंग रूम का ही एक हिस्सा मानिए। किचन में कुछ बना रहे हैं तो वहीं परबैठकर खा भी सकते हैं। बातों से, हंसी से किचन की एनर्जी बढ़ेगी और आपका किचन लाइवली होगा।
- किचन में कुछ बार स्टूल रखें, भले किचन छोटा हो फिर भी रखिये। जब आप खाना बनाएं तो परिवार के सदस्य को वहीं बैठा लें, उससे बातकरते जाएं और खाना बनाते जाएं। साथ ही उसे कुछ कामों में शामिल कर दें।
- बच्चों को खाना बनाने में शामिल करें, भोजन की कद्र सीखेंगे।
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